हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी फ़िक़्ह में, किबला की ओर मुंह करना नमाज़ के सही होना की शर्तों में से एक माना जाता है और इस दिशा की ओर ध्यान देना मुसलमानों की इबादत में एकता और सामंजस्य का प्रतीक है। हालांकि, इस्लाम के पवित्र शरिया ने मनुष्य की कठिनाइयों और सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, उन मामलों में छूट दी है जहाँ कोई व्यक्ति बीमारी या जायज़ वजह के कारण पूरी तरह से किबला की ओर खड़ा नहीं हो पाता। इस विषय पर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामनेई ने एक सवाल का जवाब दिया है, जिसे शरई अहकाम मे रूचि रखने वालो के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
प्रश्न: अगर नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति पैर या कमर के दर्द की वजह से अगली रक़अत के लिए उठते समय कभी-कभी दाईं या बाईं तरफ मुड़ जाता है, तो ऐसे किबला से मुड़ने शरई हैसियत क्या है और कितना मुड़ना जायज़ है?
उत्तर: इस सवाल की शर्त में, हर दिशा से पैतालीस डिग्री तक के मुड़ने मे कोई समस्या नहीं है।
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